विभिन्न क्षेत्रों में संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका
विभिन्न क्षेत्रों में संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका
वर्तमान परिस्थितियों में समाज के समग्र विकास और महिलाओं की सशक्तिकरण हेतु संवर्धिनी अभियान के अंतर्गत मातृशक्तियों की भूमिकाओं को बहुआयामी रूप में देखा गया है। भारत के ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में बालिकाओं और मातृशक्तियों को बढ़ावा देने के लिए उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य और तकनीकी क्षमताओं की पहचान आवश्यक है। इस हेतु प्रासंगिक तथ्यों और आंकड़ों के साथ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं पर विचार करते हुए उनकी स्थिति का सूक्ष्म अवलोकन आवशयक है:
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
संवर्धनी मातृशक्तियां समुदाय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए प्रयास करती हैं। वे बालिकाओ की शिक्षा को प्रोत्साहित करके, शैक्षिक पहलों का समर्थन करके और आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देकर शिक्षा में आने वाली बाधाओं, जैसे लिंग भेदभाव एवं जातीय भेदभाव, समाजिक कुंथियो को दूर करने का प्रयास करती हैं।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
स्कूलों में बालिकाओं के नामांकन और ठहराव के लिए पारिवारिक व सामाजिक रूप से प्रोत्साहित करना, एवं शालाओं में विशेष सुविधाएँ उपलब्ध करना।
बालिकाओं के लिए शिक्षा के महत्व और महिला सशक्तिकरण की जागरूकता के अलग अलग अभियान चलाना।
उच्च शिक्षा या व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली बालिकाओं को सलाह और सहायता प्रदान करना।
बालिकाओं की शिक्षा और शिक्षा में लैंगिक समानता की वकालत।
बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहितकरने के लिए अनेक योजना से जोड़ना।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की वर्तमान स्थिति:
वर्तमान परिस्थितियों में बालिकाओं की शिक्षा में सुधार लाने के लिए विभिन्न प्रयास किए गए हैं| परन्तु जब हम देखेते है की बालिकाओं का स्कूल छोड़ने की दर, शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूलों में लिंग आधारित हिंसा जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। सामाजिक-आर्थिक कारक, घरेलू ज़िम्मेदारियाँ और कम उम्र में विवाह अक्सर बालिकाओं की शैक्षिक उपलब्धि में बाधक होते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र: ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाओं में अक्सर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच की कमी, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और बालकों की शिक्षा को प्राथमिकता देने वाली सांस्कृतिक मानदंडों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालाँकि, सरकारी योजनाओं और समुदाय-संचालित कार्यक्रमों के द्वारा शालों में नामांकन दर में वृद्धि हुई है। ASER 2019 के आकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में, 15-16 वर्ष की आयु की लगभग 74% बालिकाओं, 79% बालकों की तुलना में स्कूल में नामांकित हैं। वही सर्व शिक्षा अभियान जैसी सरकारी पहलों ने प्राथमिक विद्यालय में बालिकाओं के नामांकन दर 96.7% तक बढ़ा दिया है।
अर्ध-शहरी क्षेत्र: अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बालिकाओं के लिए शैक्षिक अवसर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक बेहतर हैं, परन्तु सामाजिक-आर्थिक कारकों और अपर्याप्त सुविधाओं के कारण असमानताएं अभी भी मौजूद हैं। NHFS-5 के आंकड़ो के अनुसार कि अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 15-49 आयु वर्ग की केवल 60% मातृशक्तियों ने शहरी क्षेत्रों में 77% की तुलना में माध्यमिक शिक्षा को पूर्ण किया है।
शहरी क्षेत्र: शहरी क्षेत्रों में बालिकाओं की शिक्षा के लिए बेहतर सुविधाओं जैसे – स्कुल, कॉलेज, एवं संसाधन की पहुच के कारण उनकी शिक्षा कुछ हद तक आगे बढ़ने में आसान होती है| जबकि सामाजिक ताने बाने, आर्थिक, जातिगत एवं धार्मिक व्यवस्था के आधार पर असमानताएँ बनी बनी हुई हैं। हम देखेगे की सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक अभिआयं छाए गये है उनमे से एक “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” जैसी अभियान ने बालिकाओं की शैक्षिक अवसरों को बढ़ाने में काफी योगदान रहा है। परन्तु समाज में अभी भी बालिकाओं की सुरक्षा एवं उनके स्कूल छोड़ने की विषयों पर लगातार चिंतन किया जा रहा है, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले वंचित समुदायों के बीच।
कार्य योजना:
बालिकाओं की शिक्षा के महत्व को उजागर करने के लिए समुदायों में जागरूकता अभियान का आयोजन।
बालिकाओं के लिए परामर्श केंद्र की स्थापना जहां सफल मातृशक्तियां युवा बालिकाओं को मार्गदर्शन और प्रेरित कर सकें।
बालिकाओं की शिक्षा में सुविधाओं की कमी या सांस्कृतिक मानदंडों जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए स्कूलों और स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग व साझा प्रयास।
वंचित पृष्ठभूमि की लड़कियों को बालिकाओं सामाजिक व वित्तीय सहायता प्रदान करना।
स्कूलों में मासिक-धर्म के साथ सेनेट्री नेपकिन एवं उसे डिस्पोज करने के की उचित व्यवस्था।
आगे की राह:
प्रगति की नियमित रूप से निगरानी, फीडबैक और परिणामों के आधार पर रणनीतियों का समायोजन।
सभी बालिकाओं के लिए शिक्षा की समान अवसरों एवं इस हेतु एक सशक्त मंच की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्तर पर व्यवस्थाओं में न्यायसंगत बदलाव।
बालिकाओं के लिए सांस्कृतिक मंच, खेल, एवं शैक्षणिक स्तर पर पहल करने के नये अवसर के लिए शैक्षणिक संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी।
कौशल विकास
संवर्धनी मातृशक्तियां रोजगार क्षमता और आर्थिक रूप से सशक्तिकरण को बढ़ाने देने के कौशल विकास के महत्व को पहचानती हैं। वे नए कौशल विकसित करने और मौजूदा कौशल को बढ़ाने के लिए क्षमता-निर्माण गतिविधियों, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों और उद्यमशीलता पहल में शामिल हैं, जिससे स्थायी आजीविका के अवसर खुलते हैं।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
मातृशक्तियों की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल विकास कार्यक्रमों तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना।
मातृशक्तियों के बीच व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता को लगातार बढ़ावा देना।
उभरते उद्योगों और प्रौद्योगिकियों के लिए प्रासंगिक नए कौशल हासिल करने के लिए मातृशक्तियों को प्रोत्साहित करना।
कॅरियर में उन्नति और कौशल वृद्धि के लिए मार्गदर्शन और मार्गदर्शन प्रदान करना।
कार्य स्थल में सरकार द्वारा बनाई गयी नीतियों से मातृशक्तियों को अवगत करना |
कौशल विकास की वर्तमान स्थिति:
ग्रामीण क्षेत्र: ग्रामीण क्षेत्रों में मातृशक्तियां पारिवारिक आयवर्धन हेतु अक्सर कृषि, कृषि-संबद्ध कार्यों, हस्तशिल्प, पारंपरिक अन्य स्थानीय आजीविका विकल्पों और शासन-समर्थित आजीविका योजनाओं में शामिल होती हैं, लेकिन कौशल विकास कार्यक्रमों और आर्थिक अवसरों तक उनकी पहुंच नहीं होती है। स्वयं सहायता समूहों और सरकारी योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण मातृशक्तियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80% ग्रामीण मातृशक्तियां कृषि में लगी हुई हैं, लेकिन केवल 13% गैर-कृषि मजदूरी रोजगार में भाग लेती हैं।
अर्ध-शहरी क्षेत्र: अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कौशल विकास कार्यक्रम और व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर अधिक सुलभ हैं, जिससे मातृशक्तियों को विविध आजीविका विकल्प तलाशने में मदद मिलती है। हालाँकि, सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ और लैंगिक पूर्वाग्रह अभी भी कुछ क्षेत्रों में उनकी भागीदारी में बाधक हैं। अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने मातृशक्तियों की रोजगार क्षमता बढ़ाने में मदद किया है। हालाँकि, विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मातृशक्तियों को लैंगिक पूर्वाग्रहों और अवसरों की कमी के कारण अभी भी औपचारिक रोजगार तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
शहरी क्षेत्र: शहरी मातृशक्तियों के पास कौशल विकास कार्यक्रमों, नौकरी के अवसरों और उद्यमिता पहलों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच है। हालाँकि, उन्हें कार्यस्थल पर भेदभाव, लैंगिक वेतन, कार्य के बटवारे में अंतर और कार्य-जीवन संतुलन के मुद्दों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। शहरी क्षेत्रों में, मातृशक्तियों की कार्यबल भागीदारी में वृद्धि हुई है, लेकिन लैंगिक वेतन अंतर अभी भी बना हुआ है। विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक लिंग अंतर रिपोर्ट 2021 के अनुसार, मातृशक्तियों के लिए आर्थिक भागीदारी और अवसर के मामले में भारत 156 देशों में से 140वें स्थान पर है।
कार्य योजना:
मातृशक्तियों के बीच आवश्यकता और रुचि के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कौशल मूल्यांकन सर्वेक्षण का आयोजन।
डिजिटल कौशल, उद्यमिता और व्यवसाय प्रबंधन, वित्तीय साक्षरता व समावेशन इत्यादि जैसे प्रासंगिक कौशलों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएँ प्रदान करना।
मेंटरशिप (परामर्श ) केंद्र नेटवर्क की स्थापना जहां अनुभवी पेशेवर अपने संबंधित क्षेत्रों में मातृशक्तियों को सलाह दे सकें।
मातृशक्तियों को अपना व्यवसाय शुरू करने या विस्तार करने के लिए उचित बैंक लिंकेज, माइक्रोफाइनेंस और लघु व्यवसाय ऋण तक सरल व सहज पहुंच।
आगे की राह:
प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का लगातार मूल्यांकन करें और आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रम को समायोजित करें।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रशिक्षण कार्यक्रम बाज़ार की माँगों के अनुरूप हों, उद्योग हितधारकों के साथ साझेदारी बनाएँ।
दूरदराज के क्षेत्रो में मातृशक्तियों तक पहुंचने के लिए ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म जैसे नवीन तरीकों का पता लगाएं।
आजीविका संवर्धन
संवर्धनी मातृशक्तियां अपने समुदायों के भीतर आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे आय-सृजन गतिविधियों, उद्यमशीलता उद्यमों और सहकारी समितियों में संलग्न हैं, आत्मनिर्भरता और लचीलेपन को बढ़ावा देते हुए आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन में योगदान करती हैं।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
मातृशक्तियों को आय-सृजन गतिविधियों और उद्यमिता में संलग्न होने के लिए सशक्त बनाना।
मातृशक्तियों के नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिए संसाधनों, निकटतम बाज़ारों में एवं वित्तीय सहायता तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना।
कृषि, कुटीर उद्योगों और लघु उद्यमों में मातृशक्तियों की भागीदारी को बढ़ावा देना।
स्थायी आजीविका विकल्पों और आय विविधता के लिए प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान करना।
कार्य योजना:
मातृशक्तियों के लिए कृषि, हस्तशिल्प, या सेवा उद्योगों जैसे आय-सृजन के अवसरों की पहचान करने के लिए बाजार मूल्यांकन।
महिला उद्यमियों को व्यवसाय प्रबंधन, विपणन और उत्पाद विकास पर प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता तक सरल व सहज पहुँच सुनिश्चित करना।
फुटकर विक्रेताओं, सहकारी समितियों या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के साथ साझेदारी के माध्यम से बाज़ारों तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना।
मातृशक्तियों को अपने व्यवसाय और बचत को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद करने के लिए वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना।
आगे की राह:
मातृशक्तियों के नेतृत्व वाले व्यवसायों की सफलता और प्रभाव को ट्रैक करने के लिए निगरानी और मूल्यांकन तंत्र की स्थापना ।
उन नीतियों पर कार्य करना जो मातृशक्तियों के आर्थिक सशक्तिकरण का समर्थन करती हैं, जैसे भूमि अधिकार और संपत्ति के स्वामित्व तक पहुंच इत्यादि।
ऋण और निवेश के अवसरों तक पहुंच बढ़ाने के लिए महिला समूहों और वित्तीय संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
नई तकनीकी के साथ जोड़ना, सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें प्रोत्साहित करना |
वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण
संवर्धनी मातृशक्तियां वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण को मातृशक्तियों की स्थिति में समग्र बदलाव के केन्द्रबिन्दु के तौर पर बढ़ावा देती हैं, जिसका लक्ष्य मातृशक्तियों के बीच वित्तीय साक्षरता, वित्तीय सेवाओं तक पहुंच और प्रबंधन कौशल को बढ़ाना है। वे बचत की आदतों, निवेश के अवसरों और वित्तीय नियोजन को बढ़ावा देते हैं, जिससे मातृशक्तियों को सूचित निर्णय लेने और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में सक्षम बनाया जाता है।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
बचत, बजट और निवेश सहित मातृशक्तियों के बीच वित्तीय साक्षरता और समावेशन को बढ़ावा देना।
मातृशक्तियों के लिए बैंकिंग, ऋण और बीमा जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना।
मातृशक्तियों को सूचित वित्तीय निर्णय लेने और घरेलू वित्त को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए सशक्त बनाना।
मातृशक्तियों के लिए आर्थिक अवसरों और वित्तीय संसाधनों तक समान पहुंच को बढ़ावा देना।
वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण की वर्तमान स्थिति:
जन धन योजना और माइक्रोफाइनेंस योजनाओं जैसी पहलों से मातृशक्तियों के वित्तीय समावेशन में सुधार हुआ है - जिससे 43 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं - हालाँकि, खाते के स्वामित्व में लिंग अंतर बरकरार है, 76% पुरुषों की तुलना में केवल 65% मातृशक्तियों के पास खाता है। साथ ही,, बैंकिंग सेवाओं, ऋण सुविधाओं और वित्तीय साक्षरता तक पहुँच में असमानताएँ मौजूद हैं, खासकर ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों में।
माइक्रोफाइनेंस संस्थानों ने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मातृशक्तियों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मार्च 2021 तक, माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क ने ₹2.45 लाख करोड़ से अधिक के कुल ऋण पोर्टफोलियो की सूचना दी, जिससे लाखों महिला उद्यमियों को लाभ हुआ।
कार्य योजना:
सभी उम्र की मातृशक्तियों को लक्ष्य करके वित्तीय साक्षरता कार्यशालाएँ और जागरूकता अभियान चलाना।
मातृशक्तियों के लिए बचत खाते या सूक्ष्म ऋण जैसे अनुरूप वित्तीय उत्पाद और सेवाएँ प्रदान करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी करना।
वित्तीय नियोजन और लक्ष्य निर्धारण पर मार्गदर्शन और मेंटरिंग प्रदान करना।
उन नीतियों को बढ़ावा देना जो वित्तीय सेवाओं तक मातृशक्तियों की पहुंच को बढ़ावा देती हैं और भेदभावपूर्ण ऋण प्रथाओं या दस्तावेज़ीकरण की कमी जैसी बाधाओं को दूर करती हैं।
आगे की राह:
मातृशक्तियों के बीच सामूहिक बचत और वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए समुदाय-आधारित बचत और ऋण समूहों की स्थापना।
दूरस्थ क्षेत्र या वंचित क्षेत्रों में मातृशक्तियों तक पहुंचने के लिए मोबाइल बैंकिंग समाधान और डिजिटल वित्तीय सेवाओं का विकास।
मातृशक्तियों के वित्तीय अधिकारों की सुरक्षा और शोषण को रोकने के लिए नियमों और प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करना।
स्वास्थ्य और कल्याण
संवर्धनी मातृशक्तियां स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देती हैं, स्वास्थ्य सेवाओं, प्रजनन अधिकारों और निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपायों तक पहुंच को बढ़ावा देती हैं। वे स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाती हैं, स्वस्थ जीवनशैली को, मातृशक्तियों व उनके परिवारों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए लिंग-संवेदनशील स्वास्थ्य देखभाल नीतियों को बढ़ावा देती हैं।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल और परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच सहित मातृशक्तियों के स्वास्थ्य अधिकारों को बढ़ावा देना।
मातृशक्तियों के बीच पोषण, स्वच्छता और निवारक स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।
विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं और सूचनाओं तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना।
प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल सहित मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए सहायता व पहुँच प्रदान करना।
स्वास्थ्य और कल्याण की वर्तमान स्थिति:
ग्रामीण क्षेत्र: अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी और सांस्कृतिक बाधाओं जैसी चुनौतियों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित है। मातृशक्तियों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे जैसे मातृ मृत्यु दर और कुपोषण अधिक प्रचलित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, मातृ मृत्यु दर ऊंची बनी हुई है, NFHS-5 के अनुसार प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 145 मातृ मृत्यु होती है। स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच सीमित है, केवल 28% ग्रामीण मातृशक्तियों को पूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल प्राप्त होती है।
अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्र: अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं अपेक्षाकृत बेहतर हैं, लेकिन सेवाओं की सामर्थ्य और गुणवत्ता चिंता के विषय बने हुए है। शहरी मातृशक्तियों को निष्क्रीय जीवनशैली एवं तनाव के कारण रोजमर्रा जीवन में स्वास्थ्य से जुडीसमस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में, बदलती जीवनशैली के कारण मातृशक्तियों में मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में 30% शहरी मातृशक्तियां अधिक वजन वाली या मोटापे से ग्रस्त हैं।
कार्य योजना:
प्रजनन स्वास्थ्य, मातृ देखभाल और पोषण जैसे विषयों पर स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाना।
मोबाइल क्लीनिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों या टेलीमेडिसिन प्लेटफार्मों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना।
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं या स्वयंसेवकों के रूप में मातृशक्तियों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना।
उन नीतियों को बढ़ावा देना जो मातृशक्तियों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को प्राथमिकता देती है एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करें।
आगे की राह:
वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे और सेवाओं का विस्तार करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों के साथ व्यवस्थागत सहयोग।
मातृशक्तियों को अपने स्वास्थ्य और अपने परिवार के स्वास्थ्य का समर्थक बनने के लिए सशक्त बनाना।
मातृशक्तियों के सामने आने वाली विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों और नीतियों में लिंग-संवेदनशील दृष्टिकोण को एकीकृत करना।
लिंकेज व कन्वर्जन्स
संवर्धनी मातृशक्तियां सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज संगठनों और निजी क्षेत्र की संस्थाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों के साथ जुड़ाव और सहयोग को बढ़ावा देती हैं। वे नेटवर्किंग के अवसरों, ज्ञान साझाकरण और संसाधन जुटाने की सुविधा प्रदान करती हैं, सामूहिक कार्रवाई को उत्प्रेरित करती हैं और अपनी पहल के प्रभाव को बढ़ाती हैं।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
महिला समूहों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के बीच नेटवर्किंग और सहयोग की सुविधा प्रदान करना।
ज्ञान साझा करने, सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और मातृशक्तियों के मुद्दों पर सामूहिक कार्रवाई के लिए मंच बनाना।
व्यवसाय वृद्धि और बाजार पहुंच के लिए महिला उद्यमियों, बाजार मूल्य-शृंखला और वित्तीय संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करना।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधारों और संस्थागत परिवर्तनों को बढ़ावा देना।
कार्य योजना:
महिला समूहों और संगठनों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने की सुविधा के लिए नेटवर्किंग कार्यक्रम, सम्मेलन और कार्यशालाएँ आयोजित करना।
ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म या फ़ोरम बनाना जहाँ मातृशक्तियां जुड़ सकें, संसाधन साझा कर सकें और विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।
मातृशक्तियों के बीच सीखने और कौशल विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए मेंटरशिप कार्यक्रम और peer-support नेटवर्क स्थापित करना।
उन नीतियों और वित्तपोषण अवसरों को बढ़ावा देना जो मातृशक्तियों की पहल का समर्थन करते हैं और लैंगिक समानता की स्थापना करते हैं।
आगे की राह:
महिला सशक्तिकरण के लिए संसाधनों और विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र के संगठनों के साथ साझेदारी का सशक्तिकरण।
मातृशक्तियों और समुदायों के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग और अंतःविषय दृष्टिकोण का प्रोत्साहन।
दीर्घकालिक साझेदारी और सहयोग को बनाए रखने के लिए नेटवर्क के भीतर समावेशिता, सम्मान और पारस्परिक समर्थन की संस्कृति को बढ़ावा।
प्रौद्योगिकी
संवर्धनी मातृशक्तियां सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी को एक उपकरण के रूप में अपनाती हैं। वे डिजिटल साक्षरता और सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) तक पहुंच, शिक्षा, उद्यमिता, स्वास्थ्य सेवा और वकालत पहल के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, डिजिटल विभाजन को पाटने और समावेशी विकास को बढ़ावा देती हैं।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
विशेषकर ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों में मातृशक्तियों के लिए डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी तक पहुंच को बढ़ावा देना।
मातृशक्तियों को ऑनलाइन शिक्षण और उद्यमिता सहित व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करना।
डिजिटल लिंग अंतर को पाटने और STEM क्षेत्रों में मातृशक्तियों की भागीदारी को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करना।
स्वास्थ्य देखभाल तक सहज पहुँच, शिक्षा और मातृशक्तियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
डिजिटल एवं तकनीकी समावेशन की वर्तमान स्थिति:
डिजिटल इंडिया जैसी पहल से प्रौद्योगिकी तक पहुंच में सुधार हुआ है, लेकिन डिजिटल लिंग विभाजन अभी भी बना हुआ है। ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाली मातृशक्तियों के पास अक्सर स्मार्टफोन, इंटरनेट संयोजकता और डिजिटल साक्षरता तक पहुंच की कमी होती है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी सीमित हो जाती है। सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के बावजूद, इंटरनेट के उपयोग में लैंगिक अंतर बरकरार है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के अनुसार, 37% ग्रामीण पुरुषों की तुलना में केवल 22% ग्रामीण मातृशक्तियों की इंटरनेट तक पहुंच है।
इस अंतर को पाटने के लिए मातृशक्तियों को डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन जैसी पहल शुरू की गई है। हालाँकि, सांस्कृतिक बाधाएँ और जागरूकता की कमी ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
कार्य योजना:
मातृशक्तियों के लिए डिजिटल साक्षरता, कंप्यूटर कौशल और इंटरनेट उपयोग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएँ प्रदान करना।
सामुदायिक प्रौद्योगिकी केंद्र या डिजिटल संसाधन केंद्र स्थापित करना जहां मातृशक्तियां कंप्यूटर, इंटरनेट और प्रशिक्षण संसाधनों तक पहुंच सकें।
छात्रवृत्ति, परामर्श कार्यक्रमों और नेटवर्किंग अवसरों के माध्यम से STEM क्षेत्रों में मातृशक्तियों की भागीदारी को बढ़ावा देना।
उन नीतियों और पहलों की वकालत करना जो डिजिटल लिंग अंतर को पाटें और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मातृशक्तियों के समावेश को बढ़ावा दें।
आगे की राह:
ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों की मातृशक्तियों की प्रौद्योगिकी तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे और संयोजकता में निवेश।
तकनीकी-क्षेत्र में मातृशक्तियों के लिए इंटर्नशिप और नौकरी प्लेसमेंट के अवसर पैदा करने के लिए तकनीकी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और सरकारी एजेंसियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना।
उन पहलों का समर्थन करना जो व्यापक सामाजिक बदलाव के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करती हैं, जैसे स्वास्थ्य-देखभाल, प्रसारण, शिक्षा और मातृशक्तियों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण।
गुणवत्तापूर्ण जीवन शैली
संवर्धनी मातृशक्तियां गरिमा, समानता और कल्याण से युक्त गुणवत्तापूर्ण जीवनशैली की आकांक्षा रखती हैं। वे लिंग-उत्तरदायी नीतियों, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक सुरक्षा उपायों की मांग करती हैं जो समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं और मातृशक्तियों और उनके समुदायों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका:
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और तनाव प्रबंधन सहित मातृशक्तियों के बीच समग्र कल्याण और आत्म-देखभाल प्रथाओं को बढ़ावा देना।
मातृशक्तियों को कार्य-जीवन संतुलन और आत्म-विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करना।
मातृशक्तियों और लड़कियों के लिए सुरक्षित और समावेशी सार्वजनिक स्थानों की मांग करना।
मातृशक्तियों के लिए सांस्कृतिक संवर्धन, कलात्मक अभिव्यक्ति और मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करना।
कार्य योजना:
मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और आत्म-सुरक्षित से संबंधित विषयों पर जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना।
मनोरंजक गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक स्थानों तक पहुंच प्रदान करना जहां मातृशक्तियां आराम कर सकें, मनोरंजन कर सकें और तरोताजा हो सकें।
सार्वजनिक स्थानों पर लैंगिक समानता, सुरक्षा और कल्याण को बढ़ावा देने वाली नीतियों और पहलों की मांग करना।
उन पहलों का समर्थन करें जो मातृशक्तियों को पारंपरिक लिंग भूमिकाओं से बाहर अपने जुनून, शौक और रुचियों को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाती हैं।
आगे की राह:
स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं में निवेश को प्राथमिकता देना जो मातृशक्तियों और उनके परिवारों के समग्र कल्याण और जीवन की गुणवत्ता में योगदान करते हैं।
मातृशक्तियों के लिए सहायक वातावरण बनाने के लिए स्थानीय सरकारों, नागरिक समाज संगठनों और सामुदायिक नेताओं के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना।
मातृशक्तियों को अपने समुदायों में बदलाव का माध्यम बनने के लिए सशक्त बनाना, उन नीतियों और कार्यक्रमों की वकालत करना जो लैंगिक समानता और सभी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ावा देते हैं।
इन क्षेत्रों में संवर्धनी मातृशक्तियों की भूमिका लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और समकालीन समाज में सतत विकास को बढ़ावा देने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अपने सामूहिक प्रयासों और वकालत के माध्यम से, वे सभी के लिए अधिक समावेशी, न्यायसंगत और समृद्ध भविष्य के निर्माण में योगदान देती हैं। संक्षेप में, जबकि विभिन्न क्षेत्रों में बालिकाओं एवं मातृशक्तियों के अधिकारों और स्थिति को आगे बढ़ाने में प्रगति हुई है, भूगोल, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सांस्कृतिक मानदंडों के आधार पर असमानताएं बनी हुई हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें नीतिगत हस्तक्षेप, सामुदायिक सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन की पहल शामिल हो जिससे सभी मातृशक्तियों और बालिकाओं के लिए समान अवसर और अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें, चाहे उनका स्थान या पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
इन क्षेत्रों में सक्रिय रूप से संलग्न होकर, संवर्धनी मातृशक्तियां संवर्धनी अभियान के लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ जुड़कर अपने और अपने समुदायों के समग्र विकास और सशक्तिकरण में योगदान देती हैं।